रविवार, 6 सितंबर 2009

आरुशी तलवार हत्याकांड और सी बी आई की भूमिका



नॉएडा का बहुचर्चित आरूषी तलवार ह्त्याकाण्ड एक बार फिर चर्चा में है मगर किसी रहस्य पर से परदा उठाने को ले कर नही बल्कि सी बी आई की नकारात्मक भूमिका की वज़ह से देश की सर्वोच्च जांच एजेन्सी का यह रूप गले नही उतरता ज़ाहिर है की सबसे निष्पक्ष माने जाने वाली यह संस्था सत्ता के हाथ का खिलौना बन चुकी है जिसे सत्ताधारी दल जब चाहे बंदर की तरह नचाते रहतें हैं कितने आश्चर्ये की बात है की आरुशी हत्याकांड मैं शुरू से ही कोताही बरती गयी और जब मामला केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौपा गया उसके बाद भी इसमें कोई कमी नही आयी। आज जब जांच पूरी हो चुकी है तो यह बात सामने रही है की उसके साथ यौन दुर्व्याभार हुआ की नही इसे जांचने के लिए उस समय प्रयोगशाला को शरीर के तरल पदार्थ का जो नमूना भेजा गया था वो किसी और महिला का था आरुशी के हत्यारों का सी बी आई भी पता नही लगा पाई और अगर लग भी गया की ऊसकी हत्या किसने की थी तो सबूत के आभाव में सभी हत्यारों को राहत मिल जायेगी अब लाख टके का सवाल ये है की इस जांच में सी बी आई से चूक हुई है या जान बूझ कर उसे अपना काम करने से रोका गया है केओंकी यह इतना कठिन और उलझा हुआ केस नही था की सी बी आई जैसी जांच एजेन्सी को हत्यारों का पता लगाने में कोई कठिनाई होती मगर ऐसा हुआ नही चिंता का विषय है केओंकी सी बी आई के अधिकारी इस बात के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किए जातें हैं की वो बिना किसी दवाब के अपना काम ईमानादारी से कर के दोषिओं को सजा दिलवायेंगे चाहे वो कितना भी प्रभावशाली वयक्ति केओं हो मगर आज इस एजेन्सी की परिभाषा बदल चुकी है अब उसी को सजा मिलेगी जो पॉवर मैं नही है पॉवर मैं रहने वालो का कोई कुछ भी नही बिगाड़ सकता कहने की ज़रूरत नही की जांच एजेन्सीओ का काम सिर्फ़ जांच तक ही सीमित नही होता जांच कर सबूतों के साथ अपराधी को उसके अंजाम तक पहुंचाना भी होता है मगर यहाँ तो जांच ही सही ढंग से नही हुई अपराधी अंजाम तक क्या ख़ाक पहुचेंगे हम एक समाज मैं रहतें हैं जिस पर कानून का नियंत्रण होता है और कानून की हुकूमत तभी कायम रह सकती है जब अपराधिओं में उसका खौफ हो और लोगो को उस पर भरोसा खैर ये तो मामले का एक पहलू है अब ज़रा देखिये मीडिया की भूमिका को मीडिया भूल गयी की हम भारतीय समाज मैं रह रहें है जहाँ किसी लड़की की इज्ज़त को ढंका जाता है उसे सरे आम नीलाम नही किया जाता मगर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इस हत्याकांड को सनसनीखेज़ कथा में तब्दील कर दिया ज़रा सोचिये और अंदाजा लगाईए तलवार दंपत्ति को कितनी जिल्लत झेलनी पड़ी तिस पर भी उन्हें इन्साफ नही मिला एक घर एकलौते बच्चे के असमय जाने से कैसे टूटता है इश्वर करे की किसी को इस पीड़ा को महसूस करना पडे मगर आज आरुशी की आत्मा ज़रूर इन्साफ के लिए तड़प रही होगी और हंस रही होगी इस कानून का पालन और इन्साफ के नाम पर किए जाने वाले ढोंग को देख कर क्या कर सकते है हम उस देश मैं रहते हैं जहाँ कहने को तो लोकतंत्र है मगर उपर से नीचे तक गूंगो और बहरों की फौज बैठी है जिनकी डोर किसी और के हाथ मैं है सी बी आई की हालत भी वही है अब वो जांच एजेन्सी हो कर सत्ताधारी पार्टी के हाथो का खिलौना बन बैठी है । शायद यही कारण है की अब सी बी आई जांच की बात सुन कर बजाए खौफजदा होने के लोग बडे आराम से कह देतें हैं .....................अरे कोई ख़ास बात नही आराम से बच जायगा । आज आरुशी के लिए अफ़सोस हो रहा है और दिल मैं एक बात उठ रही है काश मीडिया और सी बी आई ने अपनी भूमिका सही ढंग से निभाई होती तो आरुषि को इन्साफ मिल गया होता । एक मीडिया पर्सन होने के नाते यह कहने मैं मुझे कोई संकोच नही की ........................ हमे माफ़ करना आरुषि तलवार कही हममें कोई कमी रह गयी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें