सोमवार, 16 मार्च 2009

मेरा पत्रकारीता जीवन 1

२००४ वो समय था जब सहारा समय चैनल का बिहार - झारखण्ड में उदय हो रहा था और करने के लिए सभी के पास बहुत कुछ था मैंने १४ दिसम्बर २००४ को इस चैनल को ज्वाइन कीया था यहाँ मैं एक नाम का उल्लेख करना नही भूल सकता मेरे दोस्त भोला तमारिया का यह वो शख्स है जिससे मैने इलेक्ट्रोनीक मीडिया की बारीकियाँ सीखा हाँ तो १८ तारीख को मैं और भोला जमशेदपुर के मंगलम रेस्टुरेंट मैं बैठे काफी पी रहे थे अचानक मेरे मन मैं एक बात आयी की यार चलो झारखण्ड स्टेट के बारे मैं इन्टरनेट से जानते हैं बस चल पडे कैफे की और साईट लॉग इन किया और देख कर दंग रह गये की झारखण्ड स्टेट डॉट कॉम के नाम से पॉर्न साईट चलायी जा रही थी शूट किया और निकल पडे ख़बर को ब्रैक करने ऑफिस पहुँचा और प्रीती जी को पुरी ख़बर बताई उन्होने शाबाशी दी और ख़बर चैनल पर चलवा दिया यह राष्ट्रिय स्तर की बड़ी ख़बर थी ख़ुद नॉएडा से सुनंदा दीक्षीत जी ने मुझे फोन पर शाबाशी दी. बडे यादगार पल थे वो । फिर मेरी लाइव रिपोर्टिंग हुई नीरद निश्चल जी एंकर थे
मैं खुश था की मेरा बचपन का सपना पुरा हुआ था मैं झारखण्ड के सिंहभूम जिले के पिछडे क्षेत्र जादूगोड़ा का रहने वाला हूँ मैने अपने लगन और परीश्रम से यह सिद्ध कर दिया था की मेहनत और ईमानादारी से कुछ भी करना मुश्किल नही है हाँ इस कामयाबी से जहाँ मेरे मित्र खुश हुए वही विरोधी भी बनते गए । परवाह नही है अच्छा करने की ललक थी है और रहेगी । चैनल मैं एक रिपोर्टर है सुदामा राय मुझे वह व्यक्ति मानसिक अवसाद से ग्रस्त लगता है कयोंकि जब भी मैंने कुछ अच्छा किया उसे खूब जलन हुई ख़ुद कुछ बोलने किया हिम्मत नही थी सो प्रीती जी के कान भरता रहता था उसकी यह आदत अभी तक नही छुटी और यही कारण है की प्रतिभा संपन्न होते हुए भी पत्रकारिता में वह अभी भी अपने वजूद के लिया ज़मीन तलाश रहा है । चीरकुटों की कमी नही है जहाँ भी जाता हूँ एक दो सुदामा रॉय मिल ही जातें हैं । मगर में ऐसे लोगों का धन्यवाद भी करता कयोंकी यही ऐसे लोग हैं जिनकी आलोचना,मुझे अच्छा करके आगे बढ़ने को प्रेरित करते हैं ।

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